hanuman chalisa Options
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तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
Hanuman with a Namaste (Anjali Mudra) posture The indicating or origin in the word "Hanuman" is unclear. While in the Hindu pantheon, deities usually have lots of synonymous names, Every single dependant on some noble characteristic, attribute, or reminder of the deed attained by that deity.
O the Son of Wind, You are definitely the destroyer of all sorrows. You are the embodiment of fortune and prosperity.
They discover every little thing besides a person fragment of his jawbone. His terrific-grandfather on his mom's facet then asks Surya to restore the kid to lifestyle. Surya returns him to everyday living, but Hanuman is remaining using a disfigured jaw.[fifty one] Hanuman is said to obtain invested his childhood in Kishkindha.
व्याख्या – प्राणिमात्र के लिये तेज की उपासना सर्वोत्कृष्ट है। तेज से ही जीवन है। अन्तकाल में देहाकाश से तेज ही निकलकर महाकाश में विलीन हो जाता है।
BalaBalaStrength / ability buddhiBuddhiIntelligence / wisdom bidyaBidyaKnowledge dehuDehuGive / give harahuHarahuClear / eliminate kalesaKalesaSuffering bikaraBikaraImperfections / impurity Indicating: Knowing this system to get devoid of intelligence/wisdom, I recall the son of wind God, Lord Hanuman; Grant me power, intelligence and know-how and remove my bodily sufferings and psychological imperfections.
भावार्थ – वीर हनुमान जी का निरन्तर जप करने से वे रोगों का नाश करते हैं तथा सभी पीड़ाओं का हरण करते हैं।
भावार्थ – हजार मुख वाले more info श्री शेष जी सदा तुम्हारे यश का गान करते रहेंगे ऐसा कहकर लक्ष्मी पति विष्णु स्वरूप भगवान् श्री राम ने आपको अपने हृदयसे लगा लिया।
हर बाधाओं को दूर करने हेतु, तनाब मुक्त रहने के लिए, यात्रा प्रारंभ से पहले, बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु एवं मनोकामनाएं सिद्धि के लिए श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
भावार्थ – आपने अत्यन्त विशाल और भयानक रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया और विविध प्रकार से भगवान् श्री रामचन्द्रजीं के कार्यों को पूरा किया।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥ और मनोरथ जो कोई लावै ।
व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज की शरण लेने पर सभी प्रकार के दैहिक, दैविक, भौतिक भय समाप्त हो जाते हैं तथा तीनों प्रकार के आधिदैविक, आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक सुख सुलभ हो जाते हैं।